NEELAM GUPTA

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विश्वास की डोर। लेखन ईयर प्रतियोगिता

एक विश्वास की डोर ही से मै, 

तेरे पीछे पीछे बंधी चली आई ।

सोचा ना अपना मैंने ,कल कैसा होगा।

तेरा हाथ पकड़कर चुपचाप चली आई।


मेरा विश्वास मत तोड़ना ,

कभी मेरा साथ ना छोड़ना।

सारे रिश्ते नाते तजकर,

सात फेरों के बंधन में बंधी चली आई।


प्यार से मुझे तू अपनाना।

कुछ गलती हो तो माफ कर जाना।

रुसवाईयां मैं मुझको छोड़ ना जाना।

तेरे पीछे-पीछे मैं तो बाबुल अंगना छोड़ आई।


इस विश्वास की डोर को प्रीत से रंगना।

कोई छल कपट ना मेरे साथ करना।

तेरे वादे के विश्वास पर में।

अपने पीछे की जिंदगी भूल आई।


एक विश्वास की डोर ही से मैं,

तेरे पीछे-पीछे बंधी चली आई। 

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

14-Feb-2022 09:18 PM

बहुत खूबसूरत रचना

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NEELAM GUPTA

14-Feb-2022 09:33 PM

आभार जी 🙏

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